होलिका दहन मूहर्त और ज्योतिषीय लाभ | holi-2021-date muhurat timing significance



इस साल होली पर दिनांक 28 मार्च 2028 को  होलिका दहन शाम को गो धूलि बेला से ही प्रारंभ हो जायेगी ।
अशुभ भद्रा योग इस बार होलिका दहन में बाधा नहीं बनेगा । 
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम 6:30 से रात्रि 8:30 बजे तक श्रेष्ठ रहेगा । इसके बाद चौघड़िया में शुभ ,लाभ व् अमृत के दौरान होलिका दहन कर सकते है । 

होलिका दहन में लौ की दिशा तय करेगी की कैसा रहेगा आने वाला साल ।

ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार :-

यदि लौ ऊपर की और उठे तो परिणाम सकारात्मक होते है आगामी साल तक सब कुछ अच्छा होता है । खास कर सत्ता और प्रशासनिक क्षेत्रों में बड़े बदलाब होते है परंतु यह सकारात्मक होते है और कोई बड़ी जनहानि व फिर प्राकृतिक आपदा की संभावना कम ही होती है ।

पूर्व दिशा में लौ :- होलिका दहन की लौ यदि उस समय पूर्व दिशा की और हवा चले तो पूर्व की और उठेगी इससे आने वाले समय में धर्म , आध्यात्म , शिक्षा व रोजगार के  क्षेत्र में उन्नति के अवसर बढ़ते है लोगो के स्वास्थ में भी सुधार होता है ।

पशिचम दिशा में लौ :- पशिचम की ओर होलिका दहन की अग्नि की लौ उठे तो पशुधन को लाभ होता है । 
आर्थिक प्रगति होती है , पर शनै  शनै थोड़ी प्राकृतिक आपदाओं की आशंका रहती है पर कोई बड़ी हानि नही होती है । कृषि के क्षेत्र में लाभ हानि बराबर रहती है ।

उतर दिशा की में लौ :- उतर की और  लौ का रुख रहने पर देश व् समाज में सुख शांति बनी रहती है ।
इस दिशा में कुबेर समेत अन्य देवताओं का वास होने से आर्थिक प्रगति होती है । चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में अनुसन्धान होते है । कृषि व्यापर में उन्नति होती है ।

दक्षिण दिशा में लौ :-  होलिका दहन के वक़्त हवा का रुख दक्षिण में होने से लौ भी दक्षिण की दिशा में रहेगी जिससे आने वाले समय में अशांति व क्लेश बना रहता है झगडे व् विवाद होते है पशुधन की हानि होती है । 
आपराधिक मामलों में वृद्धि होती है, परन्तु न्यायालयीन मामलों में निपटारे भी तेजी से होते है । 

होलिका की राख से शारीरिक कष्ट दूर करने के उपाय।
होलिका की राख को मस्तक पर लगाने का विधान है ।
ऐसा करने से शारीरिक कष्ट दूर होते है । तथा मन्त्र जाप करने से मन्त्र सिद्धि भी प्राप्त होती है । 

                                  :- पंडित योगेश पौराणिक 

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