नाड़ी चक्र का वर्णन | कुण्डलनी जागरण ! Kundlni Awaking

नमस्कार मित्रों आज में अग्नि पुराण के अनुसार बताए गए नाड़ी चक्र का वर्णन कर रहा हूँ जिसको जानने मात्र से लोग श्री विष्णु को जान सकते है। अग्नि पुराण के अनुसार अग्नि देव वशिष्ठ मुनि से कहते है कि  नाभि के अधोभाग में कंद अर्थात मूलाधार चक्र है। उससे अंकुरों की भांति नाड़ियां निकली हुई है।
नाभि के मध्य में 72 हजार नाड़ियां स्थित है । इन नाड़ियों ने शरीर को ऊपर-नीचे ,दाएं-बाएं सब ओर से व्याप्त कर रखा है और ये चक्राकार होकर स्थित है । इनमे 10 नाड़ियाँ प्रधान है ।
1- इडा
2- पिंगला
3-सुषुम्णा
4- गान्धारी
5- हस्तिजिह्रा
6- पृथा
7- यशा
8 - अलम्बुषा
9- कुहू
10- शडिनी
ये 10 प्राणों का वहन करने वाली प्रमुख नाड़ियाँ बतलाई गई है। प्राण , अपान , सामान , उदान , व्यान , नाग,कूर्म, कृकर , देवदत्त और धनञ्जय - ये दस प्राण वायु है।
इनमे से प्रथम वायु प्राण दसों का स्वामी है।

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