अपने जन्म नक्षत्र के वृक्षों को बढ़ाने और पालन करने से आयु की वृद्धि होती है:-
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हमारी संस्कृति में वृक्षों को भगवान के रूप में पूजा जाता है। कहते हैं हर वृक्ष में किसी न किसी देवता का वास होता है। जैसे पीपल के वृक्ष में तीनों महाशक्ति ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी का वास माना जाता है।
शास्त्रों में कहा गया है कि अगर अपने नक्षत्र के अनुसार किसी वृक्ष को लगाने से आपकी हर इच्छा पूरी होगी। साथ ही धन-धान्य की भी प्राप्ति होगी।
मनीषियों ने चंद्रमा की यात्रा मार्ग को 27 भागों में विभाजित किया है। प्रत्येक सत्ताईसवें भाग में पड़ने वाले 'तारामंडल' के बीच कुछ विशिष्ट तारों की परिचय कर उन्हें नक्षत्रों की संज्ञा दी है।
इस प्रकार नवग्रह तथा 27 नक्षत्रों की पहचान की है।
किसी व्यक्ति के जन्म के समय, चंद्रमा धरती से जिस नक्षत्र की परछाई में रहता है।
वह उस व्यक्ति का जन्म-नक्षत्र कहलाता है। इस प्रकार अपने जन्म-नक्षत्र को जानकर उस वृक्ष को पहचानिए जिसका सेवन आपके लिए वर्जित है। अत: जन्म-नक्षत्र से संबंधित वृक्ष का सेवन नहीं, सेवा करनी चाहिए।
नक्षत्रों के अलावा आप विशेष सिद्धि या अपनी इच्छा प्राप्ति के लक्ष्य से भी वृक्षों का चुनाव कर सकते हैं। जानिए नक्षत्रं के हिसाब से किन वृक्षों को लगाने से होगी हर इच्छा पूरी।
हो सके तो अपने जन्म-नक्षत्र के पौधे घर में लगाकर उसे सींचे। ऐसा करना हित में होगा।
इससे निरोगी, स्वस्थ और संपन्न रहेंगे।
प्रस्तुत है जन्म-नक्षत्र से संबंधित वे वृक्ष और वृक्ष-फल जिनका तोडना नहीं, सींचना लाभकारी है।
नक्षत्र वृक्षों के नाम इस प्रकार है......
1- अश्विनी - केला, आक, धतूरा
2- भरणी - केला, आंवला
3- कृतिका - गूलर
4- रोहिणी - जामुन
5- मृगशिरा - खैर
6- आर्द्रा - आम, बेल
7- पुनर्वसु - बांस
8- पुष्य - पीपल
9- आश्लेषा - नाग केसर या चन्दन
10- मघा - बड़
11- पूर्वा फाल्गुनी - ढाक
12- उत्तरा फाल्गुनी - बड़ / पाकड़
13- हस्त - रीठा
14- चित्रा - बेल
15- स्वाति - अर्जुन
16- विशाखा - नीम
17- अनुराधा - मौलसिरी
18- ज्येष्ठा - रीठा
19- मूल - राल वृक्ष
20- पूर्वा षाढा - मौलसिरी या जामुन
21- उत्तरा षाढा - कटहल
22- श्रवण - आक
23- धनिष्ठा - शमी या समर
24- शतभिषा - कदम्ब
25- पूर्वा भाद्रपद - आम
26- उत्तरा भाद्रपद- पीपल / सोनपाठा
27- रेवती- महुआ
यदि किसी जातक को उनके नक्षत्र के पौधे नहीं मिल रहे है तो उसे आम, पीपल, बड़, गुलर, जामुन जैसे सर्वमान्य वृक्षों की सेवा करनी चाहिए।
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